Indicators on shiv chalisa in hindi lyrics You Should Know

अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।

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कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

अर्थ- हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुख दूर करि...

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भये प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

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